इश्क़ की सादगी को न ढूंढ खूबसूरती मे  कहीं

मेरे इश्क़ को समझना है तो  न देख औरों की मुहब्बत मे  कहीं

मेरे दिल को ढूंढ खुद के सीने मे  ही कहीं

जो मिल गयी एक भी सांस तेरे नाम की

तो इसे ही मेरे इश्क़ का नजराना समझना

इन आंखो ने न एक भी सपना तेरे साथ का देखा

बस अपनी साँसो को तेरे नाम देखा

मे जनता हूँ ये इश्क़ तेरे बस का नहीं है

ये आँसू मेरे हीसे के हैं जो मे तुम्हें दे नहीं सकता  

भूलना चाहूँ जो तुझे और भी हंसी हैं

ये रूह ही ऐसी है जो तुझ से जुदा  हो नहीं सकती !